स्वीकृति की चाह और नियन्त्रण का भाव || आचार्य प्रशांत (2014)
2019-11-30 1
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग ४ मई, २०१४ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: स्वीकृति, मान्यता हमारे लिए इतना महत्व क्यों रखती है? मन हर चीज़ को अपने वश में क्यों करना चाहता है? मन में स्वीकृति की इतनी चाह क्यों होती है?